भू प्रेक्षण उपग्रहों का मुख्य उद्देश्य है, भूमि के बारे में सूचना एकत्रित करना,जैसे कि भौतिक, रासायनिक तथा जैविक प्रणाली के बारे में सूचना संग्रह करना ।
भू प्रेक्षण उपग्रहों का उपयोग मुख्यतः इन क्षेत्रों में हैं।
- मानचित्रण, समुद्रविज्ञान, मौसम विज्ञान, नैसर्गिक संसाधन प्रबंधन व अंतरिक्ष विज्ञान
- ग्रामीण विकास व नगरीय प्रबंधन
- वन आवरण और जैविक संसाधन
- मौसम मॉनीटरन तथा पूर्वानुमान
- नदी तट अपरदन और ताजा जल मानचित्रण
- जैविक-विविधता और वन्य जीवन पर मौसम प्रभाव और उसका प्रवासन पैटर्न
- जैसी प्राकृतिक आपदाओं का पूर्वानुमान तथा मानीटरन करना
- रेल, सड़क,फ्लाई-ओवर तथा पुल आदि के लिए नगर/शहर योजना
- फसल अनुमान तथा रोग संसूचन तथा क्षति अनुमान
- मछली उद्योग हेतु मत्स्य झुंड का मॉनीटरन
- खनिज विज्ञान मानचित्रण तथा मॉनीटरन
इन्सैट-3डीआर
इन्सैट-3डीआर भारत का उन्नत मौसम उपग्रह इन्सैट -3 डी के समान है, जिसे प्रतिबंब प्रणाली और वायुमंडलीय परिज्ञापी के साथ विन्यास किया गया है। इन्सैट 3डीआर में शामिल किए उल्लेखनीय सुधार हैं: मध्य इन्फ्रारेड बैंड में रात के समय कम बादलों और कोहरे में चित्रों का प्रतिबिंब बेहतर सटीकता के साथ समुद्र सतह तापमान (एसएसटी) के आकलन के लिए दो थर्मल इन्फ्रारेड बैंड में प्रतिबिंब दृश्य और तापीय इन्फ्रारेड बैंड में उच्च स्थानिक विभेदन अपने पूर्ववर्ती इन्सैट-3 डी, इन्सैट 3डीआर की तरह, डेटा रिले ट्रांसपोंडर के साथ खोज और बचाव ट्रांसपोंडर वहन करता है । इस प्रकार, इन्सैट 3डीआर इसरो के पूर्व के मौसम संबंधी मिशन के लिए सेवा निरंतरता प्रदान करेगा और आगे विभिन्न मौसम के साथ ही खोज और बचाव सेवाएं प्रदान करने की क्षमता को बढ़ाएगा। इन्सैट-3डीआर का प्रमोचन द्रव्यमान 2211 किलो है, जिसमें 1255 कि.ग्रा. का प्रणोदक शामिल है । इन्सैट 3डीआर द्वारा वहन किया गया प्रणोदक मुख्य रूप से उसे भू-तुल्यकालिक स्थानांतरण कक्षा (जीटीओ) से अंतिम भूस्थिर कक्षा के लिए उपग्रह को ले जाने के लिए और अपने जीवन के दौरान कक्षा स्लॉट में उपग्रह को बनाए रखने के लिए आवश्यक है। उपग्रह के सौर व्यूह 1700 वाट शक्ति जनित करता है ।
इन्सैट-3डीआर
इन्सैट-3डी
इन्सैट-3डी उन्नत मौसम उपग्रह है जिसे उन्नत बिंबन तंत्र तथा वायुमंडलीय साउन्डर के साथ संरूपित किया गया है। इन्सैट-3डी को संवर्धित मौसमविज्ञान प्रेक्षणों, भूमि व सागर सतहों के मानीटरन, मौसम के पूर्वानुमान व आपदा चेतावनी हेतु तापमान व नमी से संबंधित वायुमंडल के लंबवत प्रोफाइल तैयार करने के लिए डिजाइन किया गया है। इसमें निम्न चार नीतभार लगे हुए हैं :- 6 चैनल बहुस्पैक्ट्रमी, प्रतिबिंबित्र (इमेजर) 19 चैनल साउन्डर आकड़ा प्रसारण प्रेषानुकर (डीआरटी), खोज एवं बचाव प्रेषानुकर
इन्सैट-3डी
कल्पना-1
मेटसैट (जिसे यू.एस. स्पेस शटल कोलंबिया दुर्घटना में 1 फरवरी, 2003 को स्वर्गवासी भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष-यात्री डॉ. कल्पना चावला के नाम पर 5 फरवरी, 2003 को कल्पना-1 के रूप में पुनर्नामित किया गया) इसरो द्वारा निर्मित अनन्य मौसमविज्ञानीय उपग्रहों की श्रृंखला में पहला है।
कल्पना-1