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मुख्य नियंत्रण सुविधा

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, अंतरिक्ष विभाग

भारत सरकार

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Indian Space Research Organization, Department Of Space

Government Of India

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संचार उपग्रह

सीएमएस-01

सीएमएस-01 एक संचार उपग्रह है जिसकी परिकल्पना आवृत्ति स्पेक्ट्रम के विस्तारित-सी बैंड में सेवाएं प्रदान करने के लिए की गई है। विस्तारित-सी बैंड कवरेज में भारतीय मुख्य भूमि, अंडमान-निकोबार और लक्षद्वीप द्वीप समूह शामिल होंगे। सीएमएस-01 भारत का 42वां संचार उपग्रह है।

सीएमएस-01

सीएमएस-01

जीसैट-30

सी. एवं के.यू. बैंडों में भूस्थिर कक्षा से संचार सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए इसरो की संवृद्ध 1-3 के. बस संरचना पर जीसैट-30 का संरूपण किया गया है। इस उपग्रह का उद्गम इसरो के पहले के इन्‍सैट/जीसैट उपग्रह श्रृंखलाओं की विरासत से हुआ है। 3357 कि.ग्रा. वजन का जीसैट-30, पहले से अधिक प्रसारण क्षेत्र के साथ इन्‍सैट-4ए अंतरिक्ष यान सेवाओं का प्रतिस्थापन करेगा। यह उपग्रह के.यू. बैण्‍ड में भारतीय महाद्वीपों तथा द्वीपों का प्रसारण क्षेत्र और सी-बैण्‍ड में खाड़ी देशों को सम्मिलित करते हुए, अधिक संख्‍या में एशियाई देशों एवं ऑस्ट्रेलिया का विस्‍तृत प्रसारण क्षेत्र प्रदान करेगा।

जीसैट-30

जीसैट-30

जीसैट-31

भारत के दूरसंचार उपग्रह, GSAT-31 को 06 फरवरी, 2019 को कौरौ लॉन्च बेस, फ्रेंच गुयाना से एरियान-5 VA-247 द्वारा सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था। GSAT-31 को इस प्रकार की अधिकतम बस क्षमताओं का उपयोग करते हुए, इसरो की उन्नत I-2K बस पर कॉन्फ़िगर किया गया है। यह उपग्रह भूस्थैतिक कक्षा में केयू-बैंड ट्रांसपोंडर क्षमता को बढ़ाएगा। लगभग 2536 किलोग्राम वजनी, जीसैट-31 कक्षा में कुछ उपग्रहों पर परिचालन सेवाओं को निरंतरता प्रदान करेगा। यह उपग्रह इसरो की पिछली INSAT/GSAT उपग्रह श्रृंखला से अपनी विरासत प्राप्त करता है। उपग्रह भारतीय मुख्य भूमि और द्वीप कवरेज प्रदान करता है। जीसैट-31 का डिज़ाइन किया गया कक्षा में परिचालन जीवन लगभग 15 वर्ष है।

जीसैट-31

जीसैट-31

जीसैट-7A

जीसैट-7A इसरो द्वारा निर्मित 35वां भारतीय संचार उपग्रह है। जीसैट-7A अंतरिक्ष यान को इसरो के मानक I-2000 किलोग्राम (I-2K) बस पर कॉन्फ़िगर किया गया है। उपग्रह को भारतीय क्षेत्र में केयू-बैंड में उपयोगकर्ताओं को संचार क्षमता प्रदान करने के लिए बनाया गया है।

जीसैट-7A

जीसैट-7A

जीसैट-11

भारत की अगली पीढ़ी के उच्‍च क्षमता वाले संचार उपग्रह, जीसैट-11 का एरियन-5 द्वारा कौरु प्रमोचन बेस, फ्रेंच गियाना से 05 दिसंबर, 2018 को सफलतापूर्वक प्रमोचन किया गया। लगभग 5854 कि.ग्रा. भार वाला जीसैट-11 इसरो द्वारा निर्मित सबसे भारी उपग्रह है। भारतीय भूभाग तथा द्वीपों पर बहु-स्‍पॉट किरण ऐंटेना कवरेज सहित उन्‍नत संचार उपग्रहों की श्रृंखला में जीसैट-11 सबसे अग्रणी उपग्रह है। जीसैट-11 देश भर में ब्रॉडबैंड सेवाएं प्रदान करने में मुख्‍य भूमिका निभाएगा। यह नई पीढ़ी के अनुप्रयोगों को प्रदर्शित करने हेतु मंच भी प्रदान करेगा। जीसैट-11 को भूतुल्‍यकाली अंतरण कक्षा में प्रमोचित किया गया तथा बाद में हासन स्थित इसरो की मुख्‍य नियंत्रण सुविधा ने उपग्रह को वृत्‍ताकार भूस्थिर कक्षा में स्‍थापित करने के लिए इसके द्रव अपभू मोटर का प्रयोग करते हुए आरंभिक कक्षा उत्‍थापन युक्तिचालन के निष्‍पादन के लिए जीसैट-11 का नियंत्रण अपने हाथों में ले लिया।

जीसैट-11

जीसैट-11

जीसैट-29

GSAT-29 carries Ka/Ku-band high throughput communication transponders which will bridge the digital divide of users including those in Jammu & Kashmir and North Eastern regions of India. It also carries Q/V-band payload, configured for technology demonstration at higher frequency bands and Geo-stationary High Resolution Camera. carried onboard GSAT-29 spacecraft. An optical communication payload, for the first time, will be utilized for data transmission.

जीसैट-29

जीसैट-29

जीसैट-6ए

जी.एस.एल.वी.-एफ08 भू-तुल्‍यकाली उपग्रह प्रमोचक रॉकेट(जी.एस.एल.वी.) की 12वीं उड़ान है और स्‍वदेशी क्रायोजेनिक चरण से युक्‍त छठी उड़ान है। जीसैट-6ए का वहन करने वाले जी.एस.एल.वी.-एफ08 का प्रमोचनसतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा के द्वितीय प्रमोचन पैड (एस.एल.पी.) से करने की योजना है।

जीसैट-6ए

जीसैट-6ए

जीसैट-17

जीसैट-17 संचार उपग्रह को I-3K विस्तारित बस पर 3,477 किग्रा के उत्थापन द्रव्यमान के साथ संविरचित किया गया है। जीसैट-17 में विभिन्न संचार सेवाओं के लिए सामान्य सी बैंड, विस्तारित सी-बैंड और एस-बैंड के पेलोड होते हैं। जीसैट -17 भी पहले के इन्सैट उपग्रहों द्वारा प्रदान किए जाने वाले की तरह मौसमविज्ञानीय डाटा रिले और सैटेलाइट आधारित खोज और बचाव सेवाओं के उपकरण हैं।

जीसैट-17

जीसैट-17

जीसैट-19

जीसैट -19 उपग्रह का उत्थापन द्रव्यमान 3136 किलोग्राम के साथ, भारत का संचार उपग्रह है, जो इसरो के मानक आई-3के बस पर संरूपण किया गया है। जीसैट -19 का/कू-बैंड उच्च प्रवाह क्षमता संचार प्रेषानुकर का वहन करता है। इसके अलावा, यह भूस्थिर रेडिएशन स्पेक्ट्रोमापी (जीआरएसपी) पेलोड को उपग्रहों आरोपित कणों की प्रकृति और और उनके इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर अंतरिक्ष विकिरण के प्रभाव के मानीटरन और अध्ययन करने के लिए वहन करता है। जीसैट-19 में कुछ उन्नत अंतरिक्ष यान प्रौद्योगिकियां भी शामिल हैं जिनमें लघु ताप पाइप, फाइबर प्रकाशिकी जाइरो, सूक्ष्म इलेक्ट्रो-मैकेनिकल प्रणाली (एमईएमएस), एक्सीलरोमीटर, कू-बैंड टीटीसी ट्रांसपोंडर और साथ ही स्वदेशी लिथियम आयन बैटरी शामिल है।

जीसैट-19

जीसैट-19

जीसैट-9

जीएसएलवी-एफ09 ने 2230 किलो दक्षिण एशिया उपग्रह, जीसैट-9 को भूतुल्यकाली स्थाणांतरण कक्षा (जीटीओ) में प्रमोचन किया। जीएसएलवी-एफ 09 मिशन भारत के भूतुल्यकाली उपग्रह प्रमोचन वाहन (जीएसएलवी) की ग्यारहवीं उड़ान और स्वदेशी क्रायोजेनिक ऊपरी चरण (सीयूएस) के साथ चौथी लगातार उड़ान है। वाहन को 2- 2.5 टन वर्ग उपग्रहों को जीटीओ में अंतक्षेपित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। जीएसएलवी-एफ 09 की कुल लंबाई 49.1 मीटर है । जीएसएलवी-एफ 09 को 05 मई 2017 को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, शार (एसडीएससी शार), श्रीहरिकोटा, भारत के अंतरिक्ष स्पेसपोर्ट के दूसरे प्रमोचन पैड (एसएलपी) से प्रमोचित किया गया था। जीएसएलवी-एफ 09 सीयूएस सहित वाहन विन्यास क्रमशः जनवरी 2014, अगस्त 2015 और सितंबर 2016 में पिछले तीन अभियानों - जीएसएलवी-डी5, डी6 और एफ05 के दौरान किए सफलतापूर्वक उड़ानो के समान है। जीएसएलवी-डी5 और डी6 ने सफलतापूर्वक दो संचार उपग्रहों -जीसैट-14 और जीसैट-6 को सफलतापूर्वक स्थापित किया, जबकि जीएसएलवी-एफ 05 ने जीटीओ में भारत के मौसम उपग्रह इन्सैट-डीडीआर को निर्धारित कक्षा में स्थापित किया था । एस-बैंड दूरमिति और सी-बैंड ट्रांसपोंडर जीएसएलवी-एफ 09 निष्पादन मॉनिटरन, ट्रैकिंग, रेंज सुरक्षा/फ्लाइट सुरक्षा और प्रारंभिक कक्षा निर्धारण (पीओडी) के लिए सक्षम हैं।

जीसैट-9

जीसैट-9

जीसैट-18

भारत के नवीनतम संचार उपग्रह जीसैट -18 एरियन -5 VA-231 द्वारा अक्टूबर 06, 2016 को कोरू, फ्रेंच गयाना से इन्सैट / जीसैट प्रणाली में शामिल किया गया । लिफ्ट-ऑफ के समय 3404 किलो वजनी जीसैट- 18 में सामान्य सी-बैंड, अपर विस्तारित सी-बैंड और आवृत्ति स्पेक्ट्रम के लिए केयू बैंड सेवा प्रदान करने के लिए 48 संचार ट्रांसपोंडर हैं। जीसैट -18 उपग्रह में केयू बैंड बीकन स्थित है जोकि जमीन एंटेना की दिशा को उपग्रह की ओर बेहतर स्थिति प्रदान करने में सहायता प्रदान करता है। जीसैट 18 को सी-बैंड, विस्तारित सी-बैंड और केयू-बैंड में परिचालन उपग्रहों की सेवाओं की निरंतरता प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है। जीसैट -18 को एरियन -5 VA-231 प्रक्षेपण यान से भू-तुल्यकालिक स्थानांतरण कक्षा (जीटीओ) में स्थापित किया गया । उसके जीटीओ में अंतक्षेपण के बाद, इसरो के मुख्य नियंत्रण सुविधा (एमसीएफ) हासन ने जीसैट -18 का नियंत्रण ले लिया और उपग्रह के द्रव अपभू मोटर (एलएएम) का उपयोग कर, प्रारंभिक कक्षा परासन कौशल किया तथा वृत्ताकार भू-स्थिर कक्षा में स्थापित किया। कक्षा में जीसैट -18 का संचालन जीवन काल 15 साल के लिए डिज़ाइन किया गया है।

जीसैट-18

जीसैट-18

जीसैट-15

भारत का उन्‍नत संचार उपग्रह जीसैट-15 एक उच्‍च ऊर्जा उपग्रह है जिसे इन्‍सैट/जीसैट प्रणाली में शामिल किया गया है। उत्‍थापन के समय, 3164 भार वाले जीसैट-15, के.यू. बैण्‍ड तथा एल1 तथा एल5 बैण्‍डों में प्रचालनरत जी.पी.एस. समर्थित जी.ई.ओ. संवर्धित नौवहन (गगन) नीतभार में कुल 24 संचार प्रेषानुकरों को साथ ले गया है। जीसैट-15, जीसैट-8 तथा जीसैट-10 के बाद गगन नीतभार को ले जाने वाला तीसरा उपग्रह है, जोकि पहले से ही कक्षा से नौवहन सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। जीसैट-15 के.यू. बैण्‍ड बीकन साथ ले गया है, जिससे उपग्रह की ओर सही ढ़ंग से भू ऐंटेना को इंगित करने में सहायता मिलेगी। जीसैट-15 को 11 नवंबर, 2015 तड़के कौरु, फ्रेंच गियाना से ऐरियन-5वी.ए.-227 प्रमोचक राकेट द्वारा प्रमोचित किया गया।

जीसैट-15

जीसैट-15

जीसैट-6

जीसैट -6 इसरो द्वारा निर्मित भारत का पचीसवाँ भू-स्थिर संचार उपग्रह और जीसैट श्रृंखला का बारहवां है। जीसैट-6 के पूर्ववर्ती पांच को 2001, 2003, 2004, 2007 और 2014 के दौरान क्रमश जीएसएलवी द्वारा प्रमोचित किया गया। अपने स्थापना के बाद, जीसैट -6 भारत के अन्य ऑपरेशनल भूस्थिर उपग्रहों के समूह में शामिल हो गया। जीसैट -6 उपग्रह उपयोगकर्ता लिंक के लिए पूरे भारत को आवरित सी-बैंड के एक बीम के साथ और पांच स्थल बीमों के साथ एस-बैंड पेलोड के माध्यम से संचार प्रदान करता है । घनाभ आकार का जीसैट -6 का उत्थापन भार 2,117 किलो है। इसमें से प्रणोदक का वजन 1132 किलो और उपग्रह के शुष्क भार 985 किलोग्राम है। जीसैट -6 उपग्रह की उन्नत सुविधाओं में एक 6 मीटर व्यास का एस-बैंड खुलनीय एंटीना है। यह इसरो द्वारा निर्मित सबसे बड़ा उपग्रह एंटीना है। यह एंटीना भारतीय मुख्य भूमि पर पांच स्थान बीम के लिए उपयोग किया जाता है। स्थल बीम आवृत्ति स्पेक्ट्रम उपयोग दक्षता बढ़ाने के लिए आवृत्ति पुन: उपयोग योजना का दोहन करते हैं । उपग्रह के अन्य उन्नत सुविधा 70 वी बस है, जिसे भारतीय संचार उपग्रह में पहली बार भेजा गया है ।

जीसैट-6

जीसैट-6

जीसैट-16

इन्सैट-जीसैट प्रणाली में शामिल जीसैट-16 उन्नत संचार उपग्रह है जिसका उत्थापन के समय दृव्यमान 3181.6 कि.ग्रा. था। जीसैट-16 को कुल 48 संचार प्रेषानुकरों को वाहित करने के लिए संरूपित किया गया, यह इसरो द्वारा अब तक विकसित उपग्रहों में लगे सामान्य सी-बैंड, उच्च विस्तारित सी-बैंड. तथा कू-बैंड प्रेषानुकरों की सर्वाधिक संख्या है। भू-एन्टेनाओं को उपग्रह की दिशा में अचूक इंगित करने के लिए जीसैट-16 में एक कू-बैंड बीकन भी लगा है।

जीसैट-16

जीसैट-16

जीसैट-14

जीसैट-14 इसरो द्वारा निर्मित 23वां संचार उपग्रह है। जीसैट-14 मिशन के मुख्य उद्देश्य कक्षा में विस्तारित सी-बैंड तथा कू-बैंड प्रेषानुकरों की क्षमता में वृद्धि करना, नए प्रयोगों के लिए एक मंच उपलब्ध करानाहै

जीसैट-14

जीसैट-14

जीसैट-7

जीसैट-7 इसरो द्वारा निर्मित उन्‍नत संचार उपग्रह है। जो निम्‍न बिट दर घ्‍वनि से लेकर उच्‍च बिट दर आंकड़ा संचार तक अनेकों प्रकार की स्‍पैक्‍ट्रमी सेवाएं उपलब्‍ध कराने में सक्षम है। जीसैट-7 उपग्रह के संचार नीतभार को भारतीय भू क्षेत्र सहित विशाल समुद्री क्षेत्र में भी संचार क्षमताएं उपलब्‍ध कराने के लिए डिजाइन किया गया है। इस नीतभार का संरूपण इसरो के आई-2.5 के बस के साथ सुसंगत बनाया गया है।

जीसैट-7

जीसैट-7

जीसैट-10

इन्सैट प्रणाली में शामिल शक्तिशाली उपग्रह, जीसैट-10, भारत का उन्नत संचार उपग्रह है। उत्थापन के समय लगभग 3400 किग्रा नीतभार वाले जीसैट-10 उपग्रह में 30 सामान्य सी-बैंड, निम्न विस्तारित सी-बैंड तथा कू-बैंड प्रेषानुकरों के अलावा एल1 तथा एल5 बैण्ड में प्रचालित द्वि-चैनल जीपीएस आधारित जीईओ संवर्धित नौवहन (गगन) नीतभार लगाए गए है। अब तक अपनी कक्षा से दिशा निर्देशन सेवाएं प्रदान कर रहे जी सैट-8 के पश्चात जीसैट-10 ऐसा दूसरा उपग्रह है जिसमें गगन नीतभार लगाया गया है। जीसैट-10 में एक कू-बैंड बीकन भी लगाया गया है, जो भू एन्टेनाओं को परिशुद्धता सहित उपग्रह की ओर इंगित करने सहायता करता है

जीसैट-10

जीसैट-10

जीसैट-12

जीसैट-12, इसरो द्वारा निर्मित नवीनतम संचार उपग्रह का भार उत्थापन समय में लगभग 1410 कि.ग्रा. है। जीसैट-12 का संरूपण कम प्रत्यावर्तन समय में देश की प्रेषानुकरों की बढ़ती माँग को पूरा करने के लिए 12 विस्तारित सी-बैण्ड प्रेषानुकरों को वहन करने के लिए किया गया है। जीसैट-12 के 12 विस्तारित सी-बैण्ड प्रेषानुकर दूरशिक्षा, दूरचिकित्सा, तथा ग्रामीण संसाधन केन्द्र (वीआरसी) जैसी विभिन्न संचार सेवाओं के लिए इन्सैट प्रणाली की क्षमता का संवर्धन करेंगे ।

जीसैट-12

जीसैट-12

जीसैट-8

जीसैट-8, भारत का उन्नत संचार उपग्रह एक उच्च शक्तिवाला उपग्रह है, जिसे इन्सैट प्रणाली में लगाई जा रही है। उत्थापन के दौरान लगभग 3100 किग्रा भारवाले जीसैट-8 उपग्रह को के यू बैण्ड में 24 उच्च शक्ति वाले प्रेषानुकरों तथा एल 1 तथा एल 5 बैण्ड में प्रचालित दो-चैनल वाले जीपीएस आधारित जीईओ संवर्धित नौवहन (गगन) नीतभार का वहन करने के लिए संरूपित किया गया है। 24 के यू बैण्ड प्रेषानुकर इन्सैट प्रणाली की क्षमता को संवर्धित करेगा। गगन नीतभार, उपग्रह आधारित संवर्धन प्रणाली (एसबीएएस), को प्रदान करता है, जिसके जरिए भू आधारित अभिग्राहियों के नेटवर्क द्वारा जीपीएस उपग्रहों से प्राप्त स्थिति की सूचना की यथार्थता, को सुधारा जाता है तथा भूस्थिर उपग्रहों के जरिए देश में प्रयोक्ताओं को उपलब्ध कराया जाता है ।

जीसैट-8

जीसैट-8

इन्सैट-4सीआर

इन्सैट-4सीआर अंतरिक्ष-यान को 2130 कि.ग्रा. भार सहित आई-2के बस नियोजित करते हुए विशिष्ट के.यू. बैंड के साथ संरूपित किया गया है। उसे संवर्धित रूसी क्रायोजनिक इंजन सहित जीएसएलवी-एफ़04 द्वारा कक्षा में अंतःक्षेपित किया गया और इन्सैट-3सी / कल्पना–1 / जीसैट–3 (एडुसैट) के साथ 74° पूर्व रेखांश पर सहस्थित किया गया। इन्सैट-4सीआर डाइरेक्ट-टू-होम (डीटीएच) टेलीविज़न सेवाएँ, वीडियो पिक्चर संचरण (वीपीटी) और अंकीय उपग्रह समाचार संग्रहण (डीएसएनजी) उपलब्ध कराने के लिए अभिकल्पित 12 उच्च-शक्ति के. यू. बैण्ड प्रेषानुकर वहन करता है।

इन्सैट-4सीआर

इन्सैट-4सीआर

इन्सैट–4बी

इन्सैट–4बी अंतरिक्ष-यान इन्सैट 4 अंतरिक्ष यानों की श्रृंखला में दूसरा है और के.यू. और सी आवृत्ति बैंडों में सेवा प्रदान करने के लिए विशिष्ट संचार नीतभार सहित संरूपित है। यह इन्सैट-3ए के साथ 93.5o पू रेखांश पर सह-स्थित है

इन्सैट–4बी

इन्सैट–4बी

इन्सैट-4ए

इन्सैट-4ए, जो इन्सैट-4 उपग्रह श्रृंखला में पहला है, के.यू. बैण्ड प्रेषानुकर और सी-बैंड आवृत्ति बैंडों में सेवाएँ उपलब्ध कराता है। के.यू. बैण्ड प्रेषानुकर भारतीय मुख्य भूमि को आवृत करते हैं और सी-बैंड प्रेषानुकर विस्तारित क्षेत्र को आवृत करते हैं। इसमें दर्जन के.यू. बैण्ड प्रेषानुकर तथा एक और दर्जन सी-बैंड प्रेषानुकर मौजूद हैं। यह अंतरिक्ष-यान एरियाने प्रमोचक रॉकेट (एरियाने 5-वी169) द्वारा इन्सैट-2ई और इन्सैट-3बी के साथ 83o पू पर अवस्थित है।

इन्सैट-4ए

इन्सैट-4ए

जीसैट-3

जीसैट-3, जो एडुसैट के रूप में जाना जाता है, पाठशाला स्तर से उच्च शिक्षा तक सुदूर शिक्षा के लिए बना है। यह पहला समर्पित "शिक्षा उपग्रह" है जो देश भर में शैक्षणिक सामग्री के संवितरण के लिए कक्षा को उपग्रह आधारित दोतरफ़ा संचार उपलब्ध कराता है।

जीसैट-3

जीसैट-3

इन्सैट-3ई

इन्सैट-3ई, इन्सैट-3 श्रृंखला में प्रमोचित चौथा उपग्रह है। यह इन्सैट प्रणाली द्वारा उपलब्ध कराई जा रही संचार सेवाओं के अतिरिक्त संवर्धन के लिए विशिष्ट संचार उपग्रह है। प्रमोचन के समय 2775 कि.ग्रा. भार सहित, इन्सैट-3ई में 24 सामान्य सी-बैंड और 12 विस्तारित सी-बैंड प्रेषानुकर मौजूद हैं।

इन्सैट-3ई

इन्सैट-3ई

जीसैट-2

जीसैट-2 एक 2000 कि.ग्रा. श्रेणी का भारत के भूतुल्यकाली उपग्रह प्रमोचक रॉकेट, जीएसएलवी-डी2 के दूसरे विकासात्मक परीक्षण उड़ान पर ऑन बोर्ड प्रायोगिक संचार उपग्रह है। इस उपग्रह में चार सी-बैंड प्रेषानुकर, 2 केयू-बैंड प्रेषानुकर और क्रमशः अग्रवर्ती लिंक और वापसी लिंक के लिए एस-बैंड और सी-बैंड पर परिचालित एक मोबाइल उपग्रह सेवा (एमएसएस) नीतभार मौजूद है। जीसैट-2 में चार वैज्ञानिक प्रायोगिक नीतभार भी मौजूद हैं - संपूर्ण विकिरण मात्रा मॉनीटर (टीआरडीएम), पृष्ठीय आवेश मॉनीटर (एससीएम), सौर एक्स-किरण स्पेक्ट्रममापी (एसओएक्सएस) और संसक्त रेडियो बीकन प्रयोग (सीआरएबीईएक्स)।

जीसैट-2

जीसैट-2

इन्सैट-3ए

इन्सैट-3ए, जो इन्सैट-3 श्रृंखला का तीसरा उपग्रह है, दूरसंचार, टेलीविज़न प्रसारण, मौसम विज्ञानीय और खोज तथा बचाव सेवाएँ प्रदान करने के लिए बहु-उद्देशीय उपग्रह है। इसमें चौबीस प्रेषानुकर लगे हैं - बारह सामान्य सी-बैंड आवृत्ति में, छह विस्तारित सी-बैंड और छह के.यू.-बैंड में हैं. इन्सैट-3ए में के.यू.-बैंड संकेतक भी मौजूद है। मौसम विज्ञानीय प्रेक्षण के लिए, इन्सैट-3ए में तीन चैनल अति उच्च रेडियोमीटर (वीएचआरआर) भी मौजूद हैं. इसके अलावा, इन्सैट-3ए में एक आवेश युग्मित युक्ति (सीसीडी) कैमरा भी मौजूद है, जो 1 कि.मी. का स्थानिक विभेदन प्रदान करते हुए दृश्य और लघु तरंग अवरक्त बैंड में प्रचालित होता है। एक यूएचएफ़ बैंड में प्रचालित होने वाले डेटा रिले प्रेषानुकर (डीआरटी) को भूमि और नदी की घाटियों पर उपेक्षित स्थानों से वास्तविक काल जलीय मौसम विज्ञानीय आँकड़ों के संग्रहण के लिए जोड़ा गया है। बाद में ये आँकड़े एक केंद्रीय स्थल पर विस्तारित सी–बैंड से प्रसारित किए जाते हैं। इन्सैट-3ए में अंतर्राष्ट्रीय उपग्रह सहायता-प्राप्त खोज कार्यक्रम में भारत के योगदान के रूप में उपग्रह सहायता-प्राप्त खोज और बचाव के लिए एक और प्रेषानुकर भी मौजूद है।

इन्सैट-3ए

इन्सैट-3ए

इन्सैट-3सी

इन्सैट-3सी, जिसमें निर्धारित उपग्रह सेवाएँ (एफ़एसएस) प्रेषानुकर , प्रसारण उपग्रह सेवाएँ (बीएसएस) प्रेषानुकर और मोबाइल उपग्रह सेवाएँ (एमएसएस) प्रेषानुकर मौजूद हैं, इन्सैट प्रणाली की क्षमता में सुधार और संवर्धन के अतिरिक्त, इन्सैट-2डीटी और इन्सैट-2सी की सेवाएँ जारी रखने के लिए अभिप्रेत हैं, जिनका कार्यकाल समाप्त होने वाला था। इन्सैट-3सी, इन्सैट-3 श्रृंखला में दूसरा उपग्रह है। पहला उपग्रह इन्सैट-3बी का प्रमोचन मार्च 2000 में हुआ था।

इन्सैट-3सी

इन्सैट-3सी

इन्सैट-3बी

इन्सैट-3बी, इन्सैट प्रणाली में जुड़ने वाली इन्सैट-3 श्रृंखला के अधीन इसरो द्वारा निर्मित पाँच उपग्रहों में से पहला है। इन्सैट-3बी 83 डिग्री पूर्व रेखांश पर इन्सैट-2ई के साथ सह-स्थित है। यह उपग्रह मुख्यतः व्यावसायिक संचार, मोबाइल संचार, विकासात्मक संचार के लिए सेवारत है; यह इन्सैट के प्रशिक्षण और विकासात्मक संचार चैनल को प्रोत्साहन देते हुए अन्योन्यक्रिया प्रशिक्षण और विकासात्मक संचार के लिए स्वर्ण जयंती विद्या विकास अंतरिक्ष उपग्रह योजना (विद्या वाहिनी) हेतु प्रेषानुकर का प्रथम सेट उपलब्ध कराता है।

इन्सैट-3बी

इन्सैट-3बी

इनसैट-2ई

इन्सैट-2ई, इसरो द्वारा निर्मित इन्सैट-2 श्रृंखला के उपग्रहों में अंतिम, दूरसंचार, टेलीविज़न प्रसारण और मौसमविज्ञानीय सेवाओं के लिए एक बहु-उद्देशीय उपग्रह है। अति उच्च विभेदन रेडियोमीटर दृश्य बैंड में 2 कि.मी. विभेदन और तापीय अवरक्त और जल वाष्प बैंडों में 8 कि.मी. विभेदन सहित तीन स्पेक्ट्रमी बैंडों में प्रचालित होगा। जल वाष्प बैंड इन्सैट प्रणाली में पहली बार प्रवर्तित किया गया है। इसके अतिरिक्त, इन्सैट-2ई में आवेश युग्मित युक्ति कैमरा भी पहली बार मौजूद होगा। यह कैमरा भी तीन स्पेक्ट्रमी बैंडों में प्रचालित होगा - दृश्य, निकट अवरक्त और लघु तरंग अवरक्त - जो 1 कि.मी. का स्थानिक विभेदन उपलब्ध कराएगा।

इनसैट-2ई

इनसैट-2ई

इन्सैट-2डी

इन्सैट-2डी, इन्सैट-2सी के समान, 4 जून, 1997 को लॉन्च किया गया था, लेकिन एक पावर बस विसंगति और संबंधित समस्याओं के बाद उपग्रह 4 अक्टूबर, 1997 से निष्क्रिय हो गया। इसलिए इसे कक्षा में उपग्रह, अरबसैट-1सी द्वारा प्रतिस्थापित किया गया, जिसे इन्सैट-2डी के रूप में नामित किया गया है।

इन्सैट-2डी

इन्सैट-2डी

इन्सैट-2सी

उत्तरपूर्वी और अंडमान तथा निकोबार द्वीपसमूहों जैसे सुदूर क्षेत्रों में संचार सुविधाओं को सुधारने के लिए चार सी-बैंड प्रेषानुकरों की शक्ति बढ़ाई गई। अन्य दो सी-बैंड प्रेषानुकरों के कवरेज को विस्तृत किया गया ताकि दक्षिणपूर्वी एशिया, केंद्रीय एशिया और पश्चिमी एशिया के हिस्सों को शामिल किया जा सके।

इन्सैट-2सी

इन्सैट-2सी

इन्सैट-2बी

इसरो द्वारा निर्मित उपग्रहों की इनसैट -2 श्रृंखला के इनसैट -2बी, दूरसंचार के लिए बहुउद्देश्यीय उपग्रह हैं।

इन्सैट-2बी

इन्सैट-2बी

इन्सैट-2ए

भारत द्वारा निर्मित प्रथम बहुउद्देशीय उपग्रह, जिसका अगस्त 1992 में सफलतापूर्वक प्रचालनीकरण किया गया। वह बहुउद्देशीय संचार, मौसम विज्ञान और उपग्रह आधारित खोज और बचाव के लिए उपयोग किया जाता है

इन्सैट-2ए

इन्सैट-2ए

इन्सैट-1डी

इन्सैट-1डी के लिए विनिर्देश इन्सैट-1बी के समान ही है लेकिन इसमें विस्तारित बैटरी और नोदन क्षमताएँ मौजूद हैं. इन्सैट ऋंखला की प्रथम पीढ़ी के समापन के लिए 12 जून 1990 को प्रमोचित किया गया।

इन्सैट-1डी

इन्सैट-1डी

इन्सैट-1सी

इन्सैट प्रणाली को पूर्ण सक्षम बनाने के लिए इन्सैट-1सी उपग्रह को 93.5o पूर्व स्थिति के लिए कोरू से 21 जुलाई 1988 को प्रमोचित किया गया। दो बसों में से एक में ऊर्जा आपूर्ति बाधित होने के कारण 12 सी-बैंड प्रेषानुकरों में आधे और उसके दो एस बैंड प्रेषानुकर नष्ट हो गए, लेकिन मौसमविज्ञानीय पृथ्वी की प्रतिबिंब और इसकी आँकड़ा संग्रहण प्रणाली, दोनों संपूर्ण रूप से प्रचालनीय थे।

इन्सैट-1सी

इन्सैट-1सी

इन्सैट-1बी

जब 30 अगस्त 1983 को इन्सैट-1बी को प्रमोचित किया गया, तो उसकी नियति भी लगभग इन्सैट-1ए के समान ही रही। फ़ोर्ड ओर भारतीय नियंत्रकों को इसके सफलतापूर्वक सौर व्यूरह विस्तरण में मध्य-सितंबर तक का समय लग गया। उस समय तक यह इन्सैट-1ए के स्थान पर 74o पूर्व में स्थित रहा। पूर्ण परिचालन क्षमता अक्तूबर 1983 में हासिल हुई। यह अपने समस्त 4375 द्विमार्गी ध्वनि या समकक्ष परिपथों से सहित 1990 तक प्रयोग में रहा। पृथ्वी। के लगभग 36,000 प्रतिबिंब भेजे गए।

इन्सैट-1बी

इन्सैट-1बी

इन्सैट-1ए

इन्सैट-1ए डेल्टा द्वारा अप्रैल 1982 में प्रमोचित किया गया लेकिन सितंबर 1983 में रद्‍द करना पडा जब उसका अभिवृत्ति नियंत्रण नोदक खाली हो गया। .

इन्सैट-1ए

इन्सैट-1ए